आरोग्य एवं स्वास्थ्य
भोजन आधा पेट कर, दुगुना पानी पी = तिगुना श्रम, चौगुनी हँसी, वर्ष सवा सौ जी
Monday, November 1, 2010
मानव शरीर के लिए हिम और अग्नि दोनों ही घातक
मानवहृदय
के
लिए
तंगी
और
तवंगरी
दोनों
ही
भार
हैं
,
जैसे
मानव
शरीर
के
लिए
हिम
और
अग्नि
दोनों
ही
घातक
हैं
।
फ़ाकाकशी
और
पेटूपन
दोनों
समान
रूप
से
मनुष्य
के
हृदय
से
ईश्वर
को
रुखसत
कर
देते
हैं
-
थ्योडोर
पार्कर
1 comment:
निर्मला कपिला
November 1, 2010 at 10:49 PM
सही बात है। आभार।
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सही बात है। आभार।
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